भारत में सिंचाई
भारत में सिंचाई के प्रमुख साधन तालाब , नहर , कुआँ , ट्यूबवेल इत्यादि है। तालाब और नहरों से सिंचाई के लिए धरातलीय जल का उपयोग किया जाता है जबकि कुओं से सिंचाई के लिए भूमिगत जल का प्रयोग किया जाता है।
कुआँ
हमारे देश में कुआँ तथा नलकूपों को सिंचाई के महत्वपूर्ण साधनों में से एक माना जाता है। भारत में कुल सिंचित भूमि का तक़रीबन 50 प्रतिशत भाग पर कुँओं तथा नलकूपों द्वारा सिंचाई की जाती है। कुआँ और नलकूपों के उपयोग के लिए भूमिगत जल का समुचित भण्डार के साथ साथ समतल भूमि का होना आवश्यक है। उत्तर भारत के मैदान , कृष्णा , महानदी , गोदावरी एवं कावेरी के डेल्टा वाले भागों , प्रायद्वीपीय भारत में नर्मदा तथा ताप्ती नदी की घाटियों , उत्तरप्रदेश , पंजाब एवं महाराष्ट्र में कुओं द्वारा सिंचाई होती है। तामिलनाडु , कर्नाटक तथा मध्यप्रदेश में कुल सिंचित भूमि का 30 प्रतिशत भाग पर कुओं द्वारा सिंचाई की जाती है।
नहर
भारत में नहरों द्वारा सिंचाई की शुरुआत 19 वीं शताब्दी के अंत में माना जाता है फिर भी यह सिंचाई के महत्वपूर्ण साधनों में से एक है। नहरों द्वारा सिंचाई हेतु सदावाहिनी नदियां और समतल भूमि का होना आवश्यक है। भारत में कुल सिंचित भूमि का तक़रीबन 40 फीसदी भाग पर नहरों द्वारा सिंचाई की जाती है। भारत में नहरों द्वारा कुल सिंचित क्षेत्र का आधा भाग पंजाब , हरियाणा , उत्तरप्रदेश तथा आँध्रप्रदेश में है और शेष लगभग आधा भाग बिहार , पश्चिम बंगाल , राजस्थान , तामिलनाडु , कर्नाटक तथा महाराष्ट्र में है।
तालाब
भारत के प्रायद्वीपीय प्रदेशों में तालाब सिंचाई का प्रमुख साधन है। प्रायद्वीप पठार क्षेत्र में अधिकांश तालाब प्राकृतिक है। भारत के कुल सिंचित भूमि का लगभग 6 प्रतिशत भर में तालाब द्वारा सिंचाई की जाती है। तालाबों द्वारा सिंचाई पूर्वी मध्य प्रदेश , ओडिसा के आन्तरिक भाग , कर्नाटक के पठार , आंध्र प्रदेश और तामिलनाडु में की जाती है।
सिंचाई तथा विधुत परियोजनाएं
सिंचाई के विकास हेतु सिंचाई तथा शक्ति के साधन महत्वपूर्ण है। भारत में कृषि हेतु क्षेत्र की विस्तार की संभावना बहुत ही सीमित है। इसलिए यह आवश्यक है की जितनी भूमि उपलब्ध है उसी पर उत्पादन को बढ़ाने का प्रयत्न किया जाना चाहिए ताकि देश की बढ़ती जनसँख्या की मांगों को पूरा किया जा सके। इसलिए शुष्क प्रदेशों में सिंचाई के साधनों का विकास जरूरी है। भारत में हरित क्रांति के पहला चरण का सफल होने का एक कारण सिंचाई के साधन की उपलब्धता थी। देश में सिंचाई के साधन पूर्ण या आंशिक रूप से शक्ति के साधनों पर निर्भर करतें है। इसलिए सिंचाई की सुविधाएं तथा शक्ति के साधनों का विकास साथ -साथ करने का प्रयास किया गया है। इसी सन्दर्भ में अनेक परियोजनाओँ का निर्माण किया गया है। कुछ महत्वपूर्ण सिंचाई और शक्ति परियोजनाओं का संक्षिप्त जानकारी निम्नलिखित है।
परियोजना का नाम | स्थिति /राज्य /नदी |
---|---|
कोठागुडम परियोजना | आँध्रप्रदेश |
कोरबा परियोजना | छतीसगढ़ |
कोसी परियोजना | बिहार |
तलचर परियोजना | ओडिसा |
तावा परियोजना | मध्य प्रदेश , तावा नदी |
हीराकुंड परियोजना | ओडिसा , महानदी |
इदुक्की परियोजना | केरल , पेरियार नदी |
शरावती परियोजना | कर्णाटक , शरावती नदी |
कोयना परियोजना | महाराष्ट्र |
नागार्जुन सागर | आँध्रप्रदेश , कृष्णा नदी |
राजस्थान नहर परियोजना | पंजाब से आरम्भ , सतलज नदी |
तुंगभद्रा परियोजना | कर्नाटक , तुंगभद्रा नदी |
पोचमपद परियोजना | आंध्र प्रदेश , गोदावरी नदी |
सिलेरू परियोजना | आंध्र प्रदेश , सिलेरू नदी |
गंडक परियोजना | उत्तर प्रदेश |
ककरपारा परियोजना | गुजरात, ताप्ती नदी |
चम्बल परियोजना | राजस्थान |
सबरीगीरी (पाम्बा कक्की ) परियोजना | केरल |
भाखड़ा नाँगल परियोजना | पंजाब , सतलज नदी |
धुवारण परियोजना | गुजरात |
कृष्णा परियोजना | कर्नाटक |
ओंकेश्वर परियोजना | महाराष्ट्र , नर्मदा नदी |
थीन बाँध परियोजना | पंजाब , रावी नदी |
सलाल परियोजना | जम्मू एवं काश्मीर , चेनाब नदी |
लोकटक परियोजना | मणिपुर , लोकटक झील |
गिरणा परियोजना | महाराष्ट्र |
दुलहस्ती परियोजना | जम्मू एवं काश्मीर , चेनाब नदी |
सरदार सरोवर परियोजना | गुजरात, नर्मदा नदी |
कुंदहा परियोजना | तमिलनाडु |
रामगंगा परियोजना | उत्तराखंड |
माताटीला परियोजना | मध्य प्रदेश |
रिहंद परियोजना | उत्तर प्रदेश |
मैटूर परियोजना | तमिलनाडु , कावेरी नदी |
ओबरा परियोजना | उत्तर प्रदेश |
माही परियोजना | गुजरात |
दामोदर घाटी परियोजना | झारखण्ड |
फरक्का परियोजना | पश्चिम बंगाल , गंगा नदी |
बाणसागर परियोजना | मध्य प्रदेश , सोन नदी |
उकई परियोजना | गुजरात , ताप्ती नदी |
घाट प्रभा परियोजना | आंध्र प्रदेश |
तपोवन परियोजना | उत्तराखंड |
जायकवाड़ी परियोजना | महाराष्ट्र ,गोदावरी नदी |
मालाप्रभा परियोजना | कर्नाटक |
शारदा सहायक परियोजना | उत्तर प्रदेश , घाघरा नदी |
दमन गंगा परियोजना | गुजरात |
टिहरी परियोजना | उत्तराखंड |
म्युराक्षी परियोजना | पश्चिम बंगाल |
पापनासम परियोजना | तमिलनाडु , ताम्रपर्णी नदी |
राणा प्रताप सागर परियोजना | राजस्थान , चम्बल नदी |
पल्लीवसल परियोजना | केरल , मंदिरापुझा नदी |
मैटूर परियोजना | तमिलनाडु , कावेरी नदी |
उपर्युक्त परियोजनाएं जल विधुत , ताप विधुत एवं सिंचाई हेतु निर्माण किये गए है। विधुत उत्त्पन्न करने के लिए मुख्यतः तीन विधियाँ हैं - जल विधुत , ताप विधुत तथा परमाणु ऊर्जा। भारत के परमाणु ऊर्जा केंद्र निम्नलिखित है।
परमाणु ऊर्जा केंद्र | स्थिति |
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तारापुर परमाणु ऊर्जा केंद्र | महाराष्ट्र |
कलपक्कम परमाणु ऊर्जा केंद्र | तमिलनाडु |
कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा केंद्र | तमिलनाडु |
नरौरा परमाणु ऊर्जा केंद्र | उत्तरप्रदेश |
कक्करपारा परमाणु ऊर्जा केंद्र | गुजरात |
जैतापुर परमाणु ऊर्जा केंद्र | महाराष्ट्र |
कैगा परमाणु ऊर्जा केंद्र | कर्नाटक |
उपर्युक्त परमाणु ऊर्जा केंद्र वर्तमान में कार्यशील हैं। भारत सरकार द्वारा हाल के वर्षों में गुजरात और हरियाणा में परमाणु ऊर्जा केंद्र लगाने की योजना है।
हमारे देश में सिंचाई हेतु बहुत सारे परियोजनाएं है जिसका विवरण ऊपर दिया गया है। लेकिन एक बात ध्यान देने वाली है की इन परियोजनाओं को बेहतर ढंग से कार्य करने हेतु जल की उपलब्धता बहुत जरूरी है साथ ही साथ यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए की जल का दुरूपयोग तो नही हो रहा है. इसी सन्दर्भ में भारत सरकार ने राष्ट्रीय जल नीति बनाई जो अप्रैल 2002 में लागू हुई।
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