Translate

Total Pageviews

INDIAN STATES AND SOCIETY IN THE EIGHTEENTH CENTURY

Share it:

              अठरहवीं सदी में भारत में राज्य और समाज : महत्वपूर्ण तथ्य (विपिन चंद्रा )                      

  1. निजाम -उल -मुल्क आसफ़जाह ने 1724 में हैदराबाद राज्य की स्थापना की थी।  औरंगज़ेब के बाद के समय के नवाबों में निजाम -उल - मुल्क आसफ़जाह का महत्वपूर्ण स्थान था। निजाम -उल -मुल्क आसफ़जाह ने सैयद बंधुओं को गद्दी से हटाने में अहम् भूमिका निभाई थी 
  2. निजाम -उल -मुल्क आसफ़जाह को दक्कन का वायसरॉय का ख़िताब प्राप्त हुआ था। 
  3. निजाम -उल -मुल्क आसफ़जाह 1722  से 1724  तक दक्कन  का वजीर के पद पर  रहा। था 
  4. निजाम -उल -मुल्क आसफ़जाह का दीवान एक हिन्दू था जिसका नाम पूरनचंद था। 
  5. निजाम -उल -मुल्क आसफ़जाह की मृत्यु 1748 में हुई। 
  6. कर्नाटक , दक्कन मुग़ल का एक सूबा (प्रदेश ) था और इस तरह वह हैदराबाद के निजाम के अधिकार के अन्तर्गत आता था। 
  7. केंद्रीय सत्ता की बढ़ती कमजोरी का फायदा उठाकर असाधारण योग्यता वाले दो व्यक्तियों , मुर्शिद कुली खान और अली वर्दी खान ने  बंगाल को वस्तुतः स्वतंत्र बना दिया। 
  8. मुर्शिद कुली खान को 1717 में बंगाल का सूबेदार बनाया गया था , मगर उसका वास्तविक शासन 1700 से ही था जब उसे दिवान बनाया गया था। 
  9. मुर्शिद कुली खान की मृत्यु 1727 में हुआ। 
  10. मुर्शिद कुली खान के बाद उसका दामाद  शुजाउद्दीन ने बंगाल पर 1739 तक शासन  किया अर्थात शुजाउद्दीन ने बंगाल पर 1727 से लेकर 1739 तक शासन किया। 
  11.  शुजाउद्दीन के बाद उसका बेटा सरफराज खान बंगाल के शासक बना जिसे उसी साल अर्थात 1739 में ही गद्दी से हटाकर अलीवर्दी  खान बंगाल का   नवाब बना। 
  12. मुर्शिद कुली खान ने नए भू -राजस्व बंदोबस्त के जरिए जागीर भूमि के एक बड़े भाग को खालसा भूमि बना दिया और इजारा व्यवस्था (ठेके पर भू -राजस्व वसूल करने की व्यवस्था ) की शुरुआत की थी। 
  13. मुर्शिद कुली खान ने बंगाल में एक नए भू -अभिजात वर्ग को जन्म दिया। 
  14. अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी की प्रवृति 1707 के बाद अपनी माँगों को मनवाने के लिए सैनिक शक्ति का उपयोग करने या उसके इस्तेमाल की धमकी देने की होने लगी थी. 
  15. अलीवर्दी खान ने अंग्रेजों और फ्रांसीसियों को कलकत्ता और चंद्रनगर के अपने कारखाओं की किलेवंदी करने की इजाजत नहीं दिया था। 
  16. अलीवर्दी खान को मराठों के हमलों से तंग आकर उन्हें उड़ीसा  का एक बड़ा हिस्सा देना पड़ा था। 
  17.  1756 -57 में अंग्रेजी  ईस्ट इंडिया कंपनी ने अली  वर्दी खान के उत्तराधिकारी सिराजुदौला के खिलाफ लड़ाई का ऐलान कर दिया था। 
  18. अवध के स्वायत स्वायत राज्य का संस्थापक सआदत खान बुरहान -उल -मुल्क था जिसे 1772 में अवध  सूबेदार बनाया गया था। 
  19. सआदत खान ने 1723 में नया  बंदोबस्त (रेवेन्यू सेटलमेंट ) को लागु किया था। 
  20. सआदत खान की मृत्यु 1739 में हुआ था। 
  21. सआदत खान की मृत्यु के बाद उसका भतीजा सफ़दर जंग ने अवध की गद्दी संभाली। 
  22. लखनऊ बहुत ज़माने से अवध का एक महत्वपूर्ण शहर था और 1775 के बाद वह अवध के नवाबों का निवास स्थान बन गया। 
  23. लखनऊ हस्तशिल्प के एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में विकसित हुआ था। 
  24. दक्षिण भारत में हैदराबाद के पास हैदर अली के अधीन जिस सबसे महत्वपूर्ण सत्ता का उदय हुआ , वह मैसूर था। 
  25. 18 वीं सदी के शुरू में नंजराज (सर्वाधिकारी ) और देवराज (दलबई )नाम के दो मंत्रियों ने मैसूर की शक्ति अपने हाथ में ले रखी थी , इस प्रकार वहां के राजा चिक्का कृष्ण राज को उन्होंने कठपुतली में बदल दिया था। 
  26. हैदर अली का जन्म 1721 में एक अत्यंत सामान्य परिवार में हुआ था। 
  27. 1755 में डिंडीगुल में हैदर अली ने एक आधुनिक शस्त्रागार स्थापित किया था।  इसमें उसने फ्रांसीसी विशेषज्ञों की मदद ली थी। 
  28. हैदर अली ने 1761 में नंजराज को सत्ता से अलग कर दिया तथा मैसूर राज्य पर अपना अधिकार कायम कर लिया। 
  29. हैदर अली की मृत्यु 1782 में द्वितीय आंग्ल -मैसूर युद्ध के दौरान हुयी थी। 
  30. हैदर अली के बाद उसका बेटा टीपू सुल्तान मैसूर की गद्दी पर बैठा। 
  31. टीपू सुल्तान की मृत्यु 1799 में हुई। वह  अंग्रेजों द्वारा युद्ध में मारा गया था।  इस प्रकार टीपू सुल्तान का शासन काल 1782 से लेकर 1799 तक रहा। 
  32. टीपू सुल्तान एक जटिल चरित्र वाला और नए विचारों को ढूंढ निकलने वाला व्यक्ति था।  उसने एक नए कैलेंडर को लागु किया। 
  33. टीपू सुल्तान को फ्रांसीसी क्रांति में गहरी दिलचस्पी थी। उसने श्रीरंगपट्टम में स्वतंत्रता -वृक्ष लगाया और एक जैकोबिन क्लब का सदस्य बन गया। 
  34.  टीपू  सुल्तान ने जागीर देने की प्रथा को ख़त्म करके राजकीय आय बढ़ने की कोशिश की थी। 
  35. टीपू सुल्तान की पैदल सेना यूरोप  की शैली में बंदूकों और संगीनों से लैस थी , लेकिन इन हथियारों को मैसूर में ही बनाया गया था। 
  36. टीपू सुल्तान ने 1796 के बाद एक आधुनिक नौ सेना खड़ी करने की कोशिश की थी। 
  37. टीपू सुल्तान की एक अत्यंत प्रिय उक्ति थी की एक "शेर की तरह एक दिन जीना बेहतर है लेकिन भेड़ की तरह लम्बी जिंदगी जीना अच्छा नहीं। " इसी विश्वास का पालन करते हुए वह श्रीरंगपत्तनम के द्वार पर लड़ता हुआ मरा था। 
  38.  1799  में ब्रिटिश लोगों ने जब टीपू सुल्तान को पराजित कर उसे मार डाला और मैसूर पर कब्ज़ा कर लिया तो यह देखकर उनको आश्चर्य हुआ की मैसूर का किसान ब्रिटिश शासित राज्य मद्रास के किसान की  तुलना में कहीं अधिक  संपन्न और खुशहाल था।  सर जॉन शोर 1793 -1798 के दौरान गवर्नर -जनरल था।  उसने बाद में लिखा था , "टीपू के राज्य के किसानों को संरक्षण मिलता था  तथा उनको श्रम के लिए प्रोत्साहित और पुरस्कार दिया जाता था। "टीपू सुल्तान के जमाने के मैसूर के बारे में एक अन्य ब्रिटिश पर्यवेक्षक ने लिखा था , "यह राज्य खेतीबाड़ी में बढ़ा -चढ़ा , परिश्रमी लोगों की घनी आबादी वाला , नए -नए नगरों  वाला और वाणिज्य  व्यापार में बढ़ोतरी वाला था। 
  39. 1791 में मराठा घुड़सवारों ने श्रृंगेरी के शारदा मंदिर को लुटा था तो टीपू सुल्तान ने शारदा माँ की प्रतिमा बनवाने के लिए पैसे दिए थे। 
  40. रंगनाथ का प्रसिद्ध मंदिर टीपू सुल्तान के महल से करीब 100 गज की दुरी  पर था। 
  41. 18 वीं सदी में केरल  बहुत बड़ी संख्या में सामंत सरदारों और राजाओं में बंटा हुआ था।  इनमे से चार प्रमुख राज्य इस प्रकार थे - कालीकट , चिरक्कल , कोचीन और त्रावणकोर। 
  42. राजा मार्तंड वर्मा त्रावणकोर राज्य के राजा थे।  वे बहुत ही अग्रणी और योग्य शासक थे इसलिए उनके समय में त्रावणकोर राज्य को केरल में प्रमुखता मिली। 
  43. केरल के तीन बड़े राज्यों - कोचीन , त्रावणकोर और कालीकट ने 1763 तक सभी छोटे रजवाड़ों को विलीन या अधीन कर लिया था। 
  44. हैदर अली ने केरल पर अपना आक्रमण 1766 में शुरू किया और अंत में कालीकट के जमोरिन के इलाकों सहित कोचीन तक उत्तरी केरल को भी जीत लिया। 
  45. अठरहवीं सदी के उत्तरार्ध में त्रावणकोर की राजधानी त्रिवेंद्रम , संस्कृत विद्वता का एक प्रसिद्ध केंद्र बन गया था। 
  46. मार्तण्ड वर्मा का उत्तराधिकारी राम वर्मा था जो खुद कवि , विद्वान , संगीतज्ञ , अभिनेता और सुसंकृत वयक्ति था वह अंग्रेजी में धाराप्रवाह बातचीत करता था। 
  47. अठरहवीं सदी का सबसे श्रेष्ठ राजपूत शासक आमेर का सवाई जयसिंह  (1681 - 1743 ) था। 
  48. सवाई जयसिंह ने जाटों से लिए गए इलाके में जयपुर शहर की स्थापना की और उसे विज्ञान और कला का महान केंद्र बना दिया। 
  49. जयपुर का निर्माण बिल्कुल वैज्ञानिक सिंद्धान्तों के आधार पर और एक नियमित योजना के तहत हुआ था।  उसकी चौड़ी सड़कें एक -दूसरे को समकोण पर कटती हैं 
  50. राजा जयसिंह विज्ञान प्रेमी शासक था। वह एक महान खगोलशास्त्री भी था। 
  51. जयसिंह ने दिल्ली , जयपुर , उज्जैन और मथुरा में बिलकुल सही और आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित पर्यवेक्षणशालाएँ बनाई।  इसके कुछ उपकरण खुद जयसिंह के बनाये हुए थे। 
  52. राजा जयसिंह ने सारणियों का एक सेट तैयार किया जिससे लोगों को खगोलशास्त्र सम्बन्धी प्रवेक्षण करने में सहायता मिले।  इसका नाम "जिज  मुहम्मदशाही " था। उसने यूक्लिड की 'रेखागणित के तत्व ' का अनुवाद संस्कृत में कराया था। 
  53. राजा जयसिंह ने त्रिकोणमिति की बहुत  और लघुगणकों को बनाने और उनकी इस्तेमाल सम्बन्धी नेपियर की रचना का अनुवाद संस्कृत में कराया था। 
  54. राजा जयसिंह ने जयपुर पर 1699 से 1743 तक , लगभग 44 वर्षों तक शासन किया। 
  55. मथुरा के आसपास के जाट किसानो ने 1669 और फिर 1688 में अपने जाट जमींदारों के नेतृत्व में विद्रोह किये।  विद्रोह को तो कुचल दिया गया परन्तु इलाका अशांत ही बना रहा।  जाट खेतिहरों की एक जाती है जो दिल्ली , आगरा  और मथुरा के आस पास के इलाकों में रहते थे। 
  56. भरतपुर के जाट राज्य की स्थापना चुरामन और बदनसिंह ने की था। 
  57. जाटों के प्रसिद्ध राजा सूरजमल (1756 से 1763  ) था। वह 1763 में मर गया। 
  58. अली मुहम्मद खान ने रुहेलखंड नमक राज्य की स्थापना किया।  यह राज्य हिमालय की तराई में दक्षिण में गंगा और उत्तर में कुमायूं की पहाड़ियों तक फैला हुआ था।  इसकी राजधानी पहले बरेली में आँवला में थी और बाद में रामपुर चली गयी। 
  59. सिख धर्म  की शुरुआत गुरु नानक ने पंद्रहवी शताब्दी में की। 
  60. एक लड़ाकू समुदाय के रूप में सिखों को बदलने का काम गुरु हर गोविन्द (1606 -1645 ) ने आरम्भ किया।  मगर अपने दसवें और आखिरी गुरु गोविन्द सिंह (1666 -1708 ) के नेतृत्व में सिख राजनीतिक और फौजी ताकत बने। 
  61. औरंगजेब के मरने के बाद गुरु गोविंद सिंह ने बहादुर शाह का साथ दिया। 
  62. गुरु गोविन्द सिंह , बहादुर शाह के साथ दक्कन गए जहाँ उन्हें एक पठान नौकर ने विश्वासघात कर मार डाला। 
  63. गुरु गोविन्द सिंह के मृत्यु के बाद गुरु की परम्परा ख़त्म हो गयी।  सिखों का नेतृत्व उनके विश्वासपात्र शिष्य , बंदा सिंह के हाथों में चला गया , जो बंदा बहादुर के नाम से प्रसिद्ध हुआ। 
  64. बंदा बहादुर को 1715 में पकड़ लिया गया और मार दिया गया। 
  65. रणजीत सिंह ने 1799 में लाहौर और 1802 में अमृतसर पर कब्ज़ा किया। 
  66. राजा रणजीत सिंह ने लाहौर में तोप बनाने के आधुनिक कारखाने खोले तथा उनमे मुसलमान तोपचियों को काम पर लगाया। 
  67. ऐसा कहा जाता है की रणजीत सिंह की फ़ौज एशिया की दूसरी सबसे अच्छी फ़ौज थी।  पहला स्थान अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी की फ़ौज का था। 
  68. रणजीत सिंह के बारे में ऐसा कहा जाता है की वह धर्मपरायण सिख होते हुए भी "अपने सिंहासन से उतारकर मुसलमान फकीरों के पैर की धूल अपनी लम्बी दाढ़ी से झाड़ता था ". 
  69. रणजीत सिंह का सबसे प्रमुख और विश्वासपात्र मंत्री 'फ़क़ीर अजीजुद्दीन ' था। 
  70. रंजीत सिंह का  वित् मंत्री दीवान दीनानाथ था। 
  71. शिवाजी के पोते साहू को औरंगजेब ने 1689 से कैद कर रखा था।  साहू को 1707 में औरंगजेब की मौत के बाद रिहा किया गया। 
  72. साहू ने 1713 में बालाजी विश्वनाथ (जो एक ब्राह्मण था ) को मराठा साम्राज्य का पेशवा अर्थात मुख्य -प्रधान बनाया। 
  73. बालाजी विश्वनाथ 1719 में सैयद अली खां के साथ दिल्ली गया और फर्रखसियर  का तख्ता पलटने में सैयद बंधुओं की मदद की। 
  74. बालाजी विश्वनाथ 1720 में मर गया।  उसकी जगह पर उसका 20 वर्ष का बेटा बाजीराव प्रथम पेशवा बना। 
  75. बाजीराव प्रथम को "शिवाजी के बाद गुरिल्ला युद्ध का सबसे बड़ा प्रतिपादक ' कहा जाता है। 
  76. बाजीराव प्रथम की मृत्यु अप्रैल  1740 में हुआ। 
  77. बाजीराव प्रथम ने 1733 में जंजीरा के  सिदियों  के खिलाफ एक लम्बा शक्तिशाली अभियान आरम्भ किया और अंत में उन्हें मुख्य भूमि से निकाल बहार किया। 
  78. बाजीराव प्रथम की मृत्यु के बाद उसका अठारह साल का बेटा बालाजी बाजीराव (जो नाना साहब के नाम से जाना जाता था ) पेशवा बना। वह 1740 से 1761 तक पेशवा रहा। 
  79. मराठों के बार बार आक्रमण के चलते 1751 में बंगाल के नवाब को मजबूर होकर उड़ीसा को मराठों के हवाले करना पड़ा था। 
  80. 14 जनवरी 1761 को पानीपत की तीसरी लड़ाई हुई।  यह मराठा और अफगान शासक अहमदशाह अब्दाली की बीच हुआ।  जिसमे अहमद शाह अब्दाली विजयी रहा। 
  81. सवाई माधव राव जो 1761 में मराठो का पेशवा बना , उसके समर्थकों के नेता नाना फडणवीस था। 
  82. दूसरा आंग्ल -मराठा युद्ध (1803 -1805 ) और तीसरा आंग्ल मराठा युद्ध (1816 -1819 ) में हुआ।  दोनों युद्धों में अंग्रेज विजयी रहे। 
  83. अठरहवीं सदी में भारत , फारस की खाड़ी के इलाकों से मोती , कच्चा रेशम , ऊन , खजूर , मेवे  और गुलाब जल ;  अरब से कहवा , सोना , दवाएं और शहद ; चीन से चाय , चीनी मिट्टी  और रेशम ; तिब्बत से सोना , कस्तूरी और ऊनी कपड़ा ; सिंगापुर से टिन ; इंडोनेशियाई द्वीपों से मसाले, इत्र , शराब और चीनी ; अफ्रीका से हाथी दाँत और दवाएं ; और यूरोप से ऊनी कपड़ा , तांबा , लोहा और सीसा जैसे वस्तुए और कागज का आयात करता था।  
  84. अठरहवीं सदी में भारत के निर्यात की सबसे महत्वपूर्ण वस्तु थी सूती वस्त्र।  भारतीय सूती कपड़े अपने उत्कृष्टता के लिए सारी दुनिया में मशहूर थे और उनकी हर जगह मांग थी. भारत कच्चा रेशम और रेशमी कपड़े , लोहे का सामान , नील , शोरा , अफीम , चावल , गेहूँ , चीनी , काली मिर्च और अन्य मसाले , रत्न और औषधियों भी निर्यात करता था। 
  85. अठरहवीं और उन्नीसवीं सदी के आसपास औरतों को तंग बहुत ही काम या न के बराबर किया जाता था। उन्नीसवीं सदी के आरम्भ में एक यूरोपीय पर्यटक एब्व जे. ए। दुबाचे ने लिखा की 'एक हिन्दू  भी , यहाँ तक की अत्यंत भीड़ -भाड़ वाली जगहों में भी ,  अकेले जा सकती , और उसे अकर्मण्य आवारा लोगो की ढ़ीठ निगाहों और दिल्ल्गीयों का डर नहीं होता। ..... ऐसा मकान जिसमे केवल औरतें रहती है एक ऐसा पवित्र स्थान है जिसकी मर्यादा भंग करने का ख्याल कोई अत्यंत निर्लज्ज , लम्पट स्वप्न में भी नहीं ला सकता। '
  86. अहल्या बाई ने इंदौर पर 1766 से 1796 तक शासन किया। 
  87. कुंचन नाम्बियार केरल का एक महान कवि था। 
  88. तायुमानवर (1706-1744 ) तमिल में सित्तर काव्य का एक उत्कृष्ट प्रवर्तक था। 
  89. पंजाबी के मशहूर  महाकाव्य , हीर -राँझा की रचना वारिश शाह ने अठरहवीं सदी में किया था। 
  90. सिंधी साहित्य के प्रमुख कवि अब्दुल लतीफ़ ने अपना प्रसिद्ध कविता संग्रह 'रिसालो ' की रचना अठरहवीं सदी में  ही किया था। सचल और सामी इस शताब्दी के अन्य महान सिंधी कवि थे.
Share it:

Modern History

Post A Comment:

1 comments: