भारत में यूरोपीयों का आगमन : महत्वपूर्ण तथ्य (विपिन चंद्रा )
- 1453 में उस्मानिया सल्तनत ने एशिया माइनर को जीता और कुस्तुन्तुनिया पर अधिकार कर लिया। जिससे पूर्व और पश्चिम के बीच के पुराने व्यापारिक मार्ग पर तुर्कों का नियंत्रण हो गया।
- स्पाइस आइलैंड (मसाले के द्वीप ) इंडोनेशिया में है। उस समय स्पाइस आइलैंड को ईस्ट इंडीज कहा जाता था।
- 1494 में स्पेन का कोलंबस भारत को खोजने निकला था लेकिन वह अमेरिका की खोज कर बैठा।
- 1498 में पुर्तगाल के वास्को -डि -गामा ने यूरोप से भारत तक का नया और पूरी तरह से समुद्री मार्ग ढूंढ निकला। वह केप ऑफ़ गुड होप होते हुए अफ्रीका का पूरा चक्कर लगाकर केरल के कालीकट पंहुचा था।
- भारत में पुर्तगाल ने कोचीन , गोवा , दमण और द्यु में अपने व्यापारिक केंद्र खोले।
- पुर्तग़ालिओं ने गोवा को 1510 में अपने कब्जे में ले लिया था। उस समय अल्फांसो -डि -अल्बुकर्क वाइसराय था
- आगे चलकर इंडोनेशिया पर डच (हॉलैंड ), और भारत , श्रीलंका और मलाया पर अंग्रेजों का अधिकार हो गया था।
- 1602 में डच ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना हुई और डच संसद ने एक चार्टर स्वीकार करके कंपनी को युद्ध छेड़ने , संधिया करने , इलाके जीतने और किले बनाने के अधिकार दे दिए।
- डचो की खास दिलचस्पी भारत में नहीं बल्कि इंडोनेशिया के जावा , सुमात्रा और स्पाइस आइलैंड जैसे द्वीपों पर थी , जहाँ मसाले खूब पैदा होता था।
- डचों ने पश्चमी भारत में गुजरात के सूरत , भड़ौच , कैम्बे और अहमदाबाद ; केरल के कोचीन ; मद्रास के नागपत्तनम , आँध्रप्रदेश के मसूलीपत्तनम ; बंगाल के चिनसुरा ; बिहार के पटना और उत्तर प्रदेश के आगरा में भी अपने व्यापर -केंद्र खोले।
- डचों ने 1658 में पुर्तगालियों से श्रीलंका को जीत लिया।
- 1599 में मर्चेंट एडवेंचर्स नाम से जाने जाने वाले कुछ व्यापारियों ने पूर्व से व्यापर करने के लिए एक कंपनी बनाई। इस कंपनी को , जिसे ईस्ट इंडिया कंपनी कहा जाता है , 31 दिसंबर 1600 को ब्रिटेन के महारानी एलिज़ाबेथ ने एक रॉयल चार्टर के द्वारा पूर्व से व्यापर करने का एकमात्र अधिकार दे दिया।
- 1608 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत के पश्चमी तट पर सूरत में एक फैक्ट्री खोलने का निश्चय किया। तब व्यापारिक केंद्रों फैक्ट्री के नाम से जाना जाता था।
- ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने कप्तान हॉकिंस को जहाँगीर के दरबार में शाही आज्ञा लेने के लिए भेजा था।
- 1615 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया का दूत , सर टॉमस रो , मुग़ल शासक जहांगीर के दरबार में पंहुचा।
- 1622 में जब ब्रिटिश सम्राट चार्ल्स द्वितीय ने एक पुर्तगाली राजकुमारी से शादी की तो पुर्तगालियों ने उसे बम्बई का द्वीप दहेज़ में दे दिया।
- विजयनगर साम्राज्य का पतन 1565 में हो गया था।
- अंग्रेजों ने दक्षिण भारत में अपनी पहली फैक्ट्री मसूलीपत्तम (आँध्रप्रदेश ) में 1611 में स्थापित किया। परन्तु जल्द ही अंग्रेजों की गतिविधियों का केंद्र मद्रास हो गया जिसका पटटा 1639 में मद्रास के स्थानीय राजा ने उन्हें दे दिया था।
- 1668 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने पुर्तगाल से बम्बई का द्वीप प्राप्त किया।
- उड़ीसा में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया की फैक्ट्री 1633 में खुला। 1651 में इस फैक्ट्री को बंगाल के हुगली में व्यापार करने की इजाजत मिल गयी थी
- 1687 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के डायरेक्टर्स ने मद्रास के गवर्नर को यह सलाह दी की ' वह एक ऐसी नागरिक और सैनिक शक्ति स्थापित करे और राजस्व का सुरक्षित और इतना बड़ा स्रोत बनाये की भारत में एक बड़े , मजबूत और हमेशा हमेशा के लिए सुरक्षित ब्रिटिश राज्य की नीव डाली जा सके। '
- 1686 में अंग्रेजों ने बंगाल के हुगली शहर को नष्ट कर दिया और मुग़लों के विरुद्ध आक्रमण कर दिया। तभी से दोनों के बीच शत्रुता की शुरुआत हुई।
- 1698 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने सूतानुटी , कलिकता और गोविंदपुरी की जमींदारी प्राप्त कर लिया और वहां पर उन्होंने अपनी फैक्ट्री के अगल बगल फोर्ट विलियम नाम का किला बनाया। यही गावँ जल्द ही बढ़कर एक नगर बन गया जिसे अब कलकत्ता कहा जाता है।
- 1600 ईस्वी के चार्टर में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को केप ऑफ़ गुड होप के पूर्व में व्यापार करने का एकाधिकार सिर्फ 15 वर्षो का मिला था। इस कंपनी का स्वरुप एक पूरी तरह बंद निगम या इजारेदारी जैसा था।
- फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना 1664 में हुई थी
- 1742 में फ्रांस और इंग्लैंड के बिच युद्ध शुरू हुआ जो 1748 तक चला
- वांडीवाश का युद्ध 22 जनवरी 1760 को इंग्लैंड और फ्रांस के बीच लड़ा गया था।
- पेरिस का संधि 1763 में इंग्लैंड और फ्रांस के बीच हुआ।
- प्लासी का युद्ध 23 जून 1757 में अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी और बंगाल के नवाब सिराजुदौला के बिच हुआ जिसमे सिराजुदौला की हार हुई.
- सिराजुदौला ने 20 जून 1756 को कोलकाता के फोर्ट विलियम पर कब्ज़ा कर लिया था।
- बंगाल के कवि नवीनचंद्र सेन के अनुसार प्लासी के युद्ध के बाद ' भारत के लिए शाश्वत दुःख की काली रात ' का आरम्भ हुआ।
- प्लासी के युद्ध जितने के बाद अंग्रेजों ने मीर जाफर को बंगाल का नवाब घोषित किया था
- 1760 में मीर जाफर को बंगाल के नवाब पद से हटना पड़ा और उसके बाद उसका दामाद मीर कासिम को नवाब बनाया गया।
- मीर कासिम को 1763 में बंगाल के नवाब के पद से हटाया गया। तब वह अवध भाग गया जहाँ उसने अवध के नवाब सुजाउद्दौला और भगोड़े मुग़ल बादशाह शाह आलम द्वितीय के साथ एक समझौता किया। अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना के साथ इन तीनों सहयोगियों की मुठभेड़ 22 अक्टूबर 1764 को बक्सर में हुई जिसमे ये तीनो की हार हुई।
- बक्सर के युद्ध ने अंग्रेजों को बंगाल , बिहार और उड़ीसा का निर्विवाद शासक बना दिया और अवध भी उनकी अनुसार काम करने लगा।
- 1765 में क्लाइव बंगाल का गवर्नर बना।
- 1763 में अंग्रेजों ने मीर जाफर को दोबारा बंगाल के गवर्नर बना दिया था
- मीर जाफर के मरने के बाद उसका बेटा निजामुद्दौला को नवाब बनाया गया और बदले में उससे 20 फेब्रुअरी 1765 को एक नई संधि पर दस्तखत करा लिया गया। इस संधि के अनुसार नवाब को अपनी अधिकांश सेना भंग कर देना था और बंगाल का शासन एक नायब सूबेदार के सहारे चलना था। नायब सूबेदार की नियुक्ति कंपनी करती और जिसे कंपनी की स्वीकृति के बिना नहीं हटाया जा सकता था। इस तरह कंपनी ने बंगाल के प्रशासन पर पूरा अधिकार बना लिया
- मुग़ल शासक शाह आलम द्वितीय अभी भी साम्राज्य का नाममात्र का शासक था। उससे कंपनी ने बंगाल , बिहार और उड़ीसा की दीवानी (अर्थात राजस्व वसूल करने का अधिकार ) प्राप्त कर लिया। इस तरह बंगाल के ऊपर उसके नियंत्रण से भारत के सबसे समृद्ध प्रान्त का राजस्व कंपनी के हाथ में चला गया। बदले में कंपनी ने शाह आलम द्वितीय को छह लाख रूपए दिया और उसे कौरा और इलाहाबाद जिले भी जीतकर दे दिया। शाह आलम द्वितीय छह वर्षो तक इलाहाबाद के लिखे में अंग्रेजों का कैदी बनकर रहा।
- 1765 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी बंगाल की वास्तविक मालिक बन गया था
- 1707 में बंगाल में अकाल पड़ा था।
- 17 मई 1782 को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और मराठो के बीच सलबई की संधि हुई
- सहायक संधि के जन्मदाता लार्ड वेलेजली था। उसने 1798 और 1800 में हैदराबाद के निजाम के साथ सहायक संधि की। 1801 में अवध के नवाब के साथ सहायक संधि की।
- 4 मई 1799 को अपनी राजधानी श्रीरंगपटनम की रक्षा करते हुए टीपू सुल्तान कंपनी के द्वारा मारा गया
- 31 दिसंबर 1802 को पेशवा बाजीराव द्वितीय (मराठा ) और अंग्रेजों के बीच बसाई की संधि हुई।
- सर चार्ल्स नेपियर ने 1843 में सिंध का अधिग्रहण कर लिया
- 1839 में महाराज रंजीत सिंह की मृत्यु हो गयी।
- लार्ड डलहौजी 1848 में भारत का गवर्नर जनरल बना
- डलहौजी ने राज्य विलय का सिद्धांत (डॉक्ट्रिन ऑफ़ लैप्स ) अपनाया।
- इसी सिद्धांत पर डलहौजी ने 1848 में सतारा (महाराष्ट्र ) और 1854 में नागपुर और झाँसी समेत अनेक राज्यों का अधिग्रहण किया
- डलहौजी ने 1856 में अवध को अंग्रेजी राज्य में मिला लिया
- कच्चे कपास की ब्रिटेन में बढ़ती मांग के चलते लार्ड डलहौजी ने 1853 में अवध के नवाब से बरार का कपास उत्पादक प्रान्त ले लिया था।
Fabulous post please write more topic related to modern history
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